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आदिवासी धर्म (TRIBALISM)
धर्म का अर्थ है:- दायित्व (जिसका वास्तविक अर्थ है हमारे विश्वास के सिद्धांतों का पालन करना)।
आदिवासी धर्म बहुत अलग-अलग धर्मों और मान्यताओं से बना है।
उदाहरण:- Animism (आत्मावाद), Animatism (जीववाद), Fetishism (वस्तुकामुकता), Naturalism (प्रकृतिवाद), Totemism (टोटमवाद) आदि।
1 - ANIMISM (आत्मावाद)
ANIMA एक Latin शब्द है जिसका अर्थ है जीवन, आत्मा, सांस। Animism शब्द German Physician and Chemist Gerge Earnst Stahal गढ़ा था। E. B. Tylor Anthropology में Animism की शुरुआत की और अपनी 1871 की पुस्तक 'Primitive Culture' में Animism का वर्णन किया। स्वयं और समुदाय की भलाई के लिए आत्माओं और पूजा करने वाली आत्माओं में विश्वास को Animism कहा जाता है।
Animism देश और विदेश में हर जगह पालन किया जाता है, भारत के आदिवासी भी इसका पालन करते हैं, उदाहरण के लिए: - ओडिशाके हर्जा (परजा), कंध आदिवासी मानते हैं, हर्जा आदिवासी मानते हैं कि मृत्यु के बाद, कुछ आत्माएं अपने लोगों के साथ रहती हैं और अपने लोगों की रक्षा करती हैं। , एक आत्मा की दुनिया है और अधिकांश आत्माएं कब्रिस्तान में रहती हैं, आत्माएं दो प्रकार की होती हैं, अच्छी आत्माएं और बुरी आत्माएं। इसी तरह, मध्य भारत की करवा आदिवासी भी मानती हैं कि आत्माएं दो प्रकार की होती हैं। आसम की लाखेर आदिवासी का मानना है कि आत्मा का आकार वास्तविक शरीर के समान है, और मणिपुर की कुकिस आदिवासी का मानना है कि आत्मा शरीर से छोटी है। मध्य प्रदेश की छोटी नागपुर आदिवासी का मानना है कि छाया ही आत्मा है, बेगा आदिवासी का मानना है कि व्यक्ति मृत्यु के 10 दिन बाद घर लौट आता है।
2 - ANIMATISM (जीववाद)
सभी जीवित प्राणी, निर्जीव, सभी में जीवन या आत्मा है, सभी आत्माएं समान हैं, कोई भी आत्मा किसी से कम नहीं है, सभी आत्माएं समान हैं।
3 - FETISHISM (वस्तुकामुकता)
जिस वस्तु में कुछ जादुई शक्ति होती है उसे Fetish वस्तु कहते हैं। Fetishism शब्द सबसे पहले Fanel Brocess ने गढ़ा था। Fetish वस्तुएं जैसे रत्न (सोना, चांदी) लकड़ी, पत्थर आदि हो सकते हैं, जिनमें जादुई शक्तियां होती हैं और जिनकी पूजा की जाती है।
उदाहरण:- वोडो (Vodo) आदिवासी खून, हड्डियों, पंजों आदि को Fetish की वस्तु मानते हैं। भारत की बोंडो आदिवासी तलवारों को Fetish मानती है, हर्जा (परजा) आदिवासी भी तलवार, कुल्हाड़ी आदि हथियार को Fetish वस्तु और ताबीज, धातु कीअंगूठी , पत्थर की अंगूठी, कुछ गहने और आभूषणों को Fetish वस्तु मानती हैं। इन वस्तुओं में जादुई शक्तियां होती हैं जो हमारी मदद करती हैं और हमारी रक्षा करती हैं।
4 - NATURALIS (प्रकृतिवाद)
प्रकृति की पूजा की जाती है, जंगलों, पहाड़ियों, पहाड़ों, नदियों, झरनों आदि की पूजा की जाती है। क्योंकि जंगल में रहने वाले जंगली जानवरों, सरीसृपों और बाढ़, तूफान और भूकंप से बचने के लिए।
प्राकृतिक आपदाओं को नियंत्रित करना असंभव है, इसलिए बाढ़ को रोकने के लिए नदी की पूजा और बलिदान किया जाता है, और अच्छी फसल पैदा करने के लिए मिट्टी की भी पूजा की जाती है।
उदाहरण:- हमारे भारत की आदिवासी जैसे हर्जा (परजा), कंध, संताल, गोंड आदि।
5 - TOTEMISM (टोटमवाद)
आदिवासी समुदाय के लोग मानते हैं या मानते हैं कि हमारा जानवरों, पक्षियों, वस्तुओं और पेड़ों की आत्माओं से संबंध है। 'टोटम' शब्द ओजिब्वे ( Ojibwe) नामक एक मूल अमेरिकी आदिवासी कि ओतोतेमन (Ototeman) भाषा से लिया गया है,जिसका अर्थ है अपने भाई / बहन या रिश्तेदार । किसी भी टोटम पेड़, वस्तु, जानवर या पक्षी को मारना या नष्ट करना अपराध माना जाता है । जानवरों, पक्षियों, पेड़ों, चीजों आदि की आत्माओं की पूजा करना Totemism कहलाता है। यदि गाय किसी समुदाय की टोटम ( कुलदेवता) है, यदि गाय मर जाती है, तो उसका शोक और सम्मान किया जाता है जैसे कि उसके रिश्तेदार की मृत्यु हो जाती है, उसी तरह, यदि गाय की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसा ही किया जाता है, और यदि गाय बछड़े को जन्म देती है (बंश बृदि), खुशी से इनकार किया जाता है। भारत के आदिवासी भी Totemism का पालन करते हैं।
उदाहरण:- संथाल, गोंड, हर्जा (परजा), कंधा आदि आदिवासियों जैसे हर्जा आदिवासियों, पत्थर, फलों के पेड़, अनाज, सांप, बाघ, भालू, गाय आदि को टोटम (कुलदेवता) माना जाता है। संताल विभिन्न पेड़ों और जानवरों को भी टोटम (कुलदेवता) मानते हैं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
इन सभी धर्मों का मेल मे आदिवासी धर्म बन गया है। सभी आदिवासी समुदाय इन सभी धर्मों का पालन नहीं करते हैं, सभी आदिवासी समुदाय इन विभिन्न धर्मों और मान्यताओं का पालन करते हैं। एक अन्य आदिवासी समुदाय की सोच अलग है। सभी आदिवासियों की मान्यताएं ,पूजा,त्यौहार, अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन संपूर्ण आदिवासी समुदाय जीवित और निर्जीव वस्तुओं में आत्मा और चमत्कारी शक्ति में विश्वास करता है। क्योंकि इससे ही अपने समाज का भला हो सकता है...
::::- आदिवासी धर्म अपने ,परिवार और समुदाय की भलाई के लिए पालन किया जाता है, हिंदू, ईसाई, मुस्लिम धर्म अपने और परिवार की भलाई के लिए ,पर मूल लक्ष पुण्य और मुक्ष्स प्राप्त करके स्वर्ग जाने के लिए पालन किया जाता है।
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🙏जय आदिवासी मूल निवासी🙏
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